भारत देश मे काफी लंबे समय से ब्रह्म मुहर्त के बारे मे ब्रह्म ऋषियों ने बताया है जिसका समय सुबह 4 से 6 बजे तक होता है एवं 4 से 5 बजे तक का समय काफी प्रचलित है , आगे हम स्वामी प्रेमानन्द जी महाराज जी के विचार जानेंगे और समझेंगे की ब्रह्म मुहर्त क्यो इतना महत्वपूर्ण है l
स्वामी प्रेमानन्द जी महाराज जी कहते है –
4:00 बजे से और 6:00 बजे तक का जो समय है कि भजन के लिए बहुत लाभदायक है इस समय अगर कोई निद्रा में रहता है तो कई तरह की मानसिक बीमारियां और शारीरिक बीमारी यह आगे चलकर उसे घेर लेगी मानसिक बीमारियां कई तरह से मन डराने लगेगा कई तरह से मन में ऐसे को भावना जागृत हो जाएगी इसलिए हमारे ब्रह्म ऋषियों ने आज्ञा की है कि 4:00 बजे से तो उठी जाना चाहिए , और 4 से 6 के बीच में मतलब चार से पांच के बीच में सोए रहे तो आप 5 से 6 के बीच में उठ जाइए 4 से 6 के बीच के समय में आप उठकर के अपनी भगवती दिनचर्या करें l
भगवती दिनचर्या में जिसे अपने लोग राधा वाले भी हैं तो प्रातः काल उठ करके अपने गुरुजनों का सुमिरन करें गुरु मंत्र का जाप करें श्री जी की मंगल जय करे सुंदर पद सुनना आदि भी करे या अगर उसे समय निभाना है तो 2 घंटे बैठकर के जाप करें मंगल बेला होती ही ब्रह्म मुहर्त प्रातः कालीन मे न उठना परमार्थ और स्वार्थ दोनों की हानि करने वाला है , दृढ़ नियम होना चाहिए और नए बच्चे हो तो अलार्म वाला सिस्टम रख लो वह जब बजे उठ कर बैठ जाओ l
इसमें आपको प्रयास रखना पड़ेगा कुछ समय प्रयास से आपका अभ्यास बन जाएगा कि आप उसे समय सो ही नहीं सकते जिससे अभ्यास बन जाए ना तो आप सो ही नहीं सकते मतलब सो ही नहीं आपका शरीर राजी नहीं होगा बिस्तर में लेटना और राजी नहीं होगा इसलिए नियम बनाओ और नियम पूर्वक चलो जब आपको लगे कि आज हम नहीं उठ पाए उसी दिन दंड स्वीकार करो कि आज समय से उठे नहीं इसलिए आज भोजन का उपवास कर लो ठीक है तो ठीक हो जाओगे जिस दिन 4:00 बजे जो अभी आप नियम रखो एक पक्का रखो l
आप चाहे तो इस लिंक के जरिये प्रस्तुत लेख को देख सकते है जिसमे एक युवक को इन प्रश्नो का उत्तर गुरुजी ने दिया है l साथ ही हमारे अन्य आर्टिकल भी पढे जिस से आपको अन्य जानकारी भी मिले